google.com, pub-3412048091495808, DIRECT, f08c47fec0942fa0 Sahitya Tirtha - My Literature, My Creation साहित्य तीर्थ - माझं साहित्य, माझं लिखाण: जाग ए इंसान, काला हो गोरा कोई

बुधवार, ६ मे, २०१५

जाग ए इंसान, काला हो गोरा कोई

जाग ए इंसान, काला हो गोरा कोई
खून का रंग एक, सब है भाई भाई
मची भगदड़ जब भी मुसीबत आयी
बचाने आये इंसान, हिन्दू न इसाई!!ध्रु!!

जब आया भूकंप,हर तरफ तबाही
पक्की सड़के, खंडहर इमारत ऊँची
न बचाने आया, मशिहा न नानक
न राम रहीम, न ही कोई साईं !!1!!

काम न आये नमाज न क़ोई भजन
ना बचती मस्जिद, ना मंदिर कोई
जब लतपथ खुनसे हो जाए धरती
पता चले एक खुन्वाले हम है भाई !!2!!

न बाइबल, न कुराण,न ही रामायण
बचाने वाले का धर्म न होता कोई
भाईचारा अंतिम सत्य कहे विज्ञान
ना मतभेद, ना अपना पराया कोई!!3!!

ना कोई हिन्दु हो,ना कोई मुस्लिम
ना कोई सिख हो, ना कोई इसाई
कोई धर्म ना हो, ना कोई जाती
मिलकर रह सकेंगे तब बनके भाई!!4!!

सोमनाथ आ. पगार
नाशिक
मो 9273357159
somnathapagar@gmail.com
www.somnathpagar.blogspot.com

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